Vitamin Meaning in Hindi
Noun
- खाद्योज
- विटामिन
- शरीर के स्वास्थ्य और वृद्धि के लिए आवश्यक तत्व
Pronunciation (उच्चारण)
- Vitamin – विटमिन
Vitamin Means in Hindi (All Details) –
विटामिन हमारे शरीर के लिए अति आवश्यक है, विटामिन द्वारा ही शरीर में शक्ति प्राप्त होती है तथा रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
विटामिन के द्वारा शरीर में हमेशा नई कोशिकाओं का निर्माण होता है तथा इसके अभाव में कई रोग हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
हमें संतुलित भोजन के लिए कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लवण, जल और खनिज के साथ-साथ विटामिन भी बहुत आवश्यक होते हैं, इनके अभाव से अनेक प्रकार की बीमारियाँ हो जाती हैं तथा पाचनशक्ति का कमजोर होना, रात में दिखाई न देना, कमजोरी, थकान, मसूड़ों का सूजना तथा हड्डियों का कमजोर हो जाना।
विटामिन अनेक प्रकार के होते हैं – विटामिन ‘ए’, ‘बी’, ‘बी।’, बी2′, ‘बी6’, ‘बी7’, ‘बी12’, ‘सी’, ‘डी’, ‘ई’ एवं के। यदि हम संतुलित भोजन लेते हैं तो सभी विटामिन मिल जाते हैं। आजकल विटामिन औषधि के रूप में बाजार में भी मिलते हैं।
इस तरह हमें किसी भी तरह विटामिन को लेना आवश्यक हो जाता है, क्योंकि यह हमारे शरीर को शक्ति प्रदान करता है।
इसकी कमी से कई प्रकार के रोग हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इसलिए हमारे लिए आवश्यक ही नहीं अति आवश्यक है।
विटामिन की कमी से होने वाले प्रमुख बीमारियाँ निम्नलिखित हैं –
1 . बेरी-बेरी (Beri-Beri) : यह रोग विटामिन बी 1 या थाइमिन की कमी से होता है। इससे माँसपेशियों में पायी जाने वाली तंत्रिकाएँ टूट जाती है, जिससे माँसपेशियाँ कमजोर पड़ जाती हैं। यकृत और प्लीहा संकुचित हो जाते हैं और फुप्फुस में सूजन हो जाता है।
लक्षण – रोगी कमजोरी, पैरों में झुनझुनी और हृदय धड़कन की शिकायत करता है और पैरों में सूजन हो जाती है।
उपचार – इसके रोगी को विटामिन बी 1 युक्त भोजन जैसे दूध, हरी सब्जियाँ, मटर, शुष्क खमीर चावल की भूसी, अंडे की जरदी आदि लेना चाहिए।
2 . रतौंधी (Night Blindness) : यह रोग विटामिन ‘A’ की कमी से होता है।
लक्षण – इसमें रोगी को रात में कोई वस्तु स्पष्ट नहीं दिखाई देती है।
उपचार – रोगों को विटामिन ‘A’ युक्त भोजन या दूध का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिए।
3 . स्कर्वी (Scurvy): यह रोग भोजन में विटामिन ‘C’ की कमी से होता है। इसे सेलर्स की बीमारी भी कहते हैं।
लक्षण – इस रोग से मसूढ़ा में रक्त स्राव, दाँतों का असमय टूटना, बच्चों के चेहरे और अन्य अंगों में सूजन और अंतःपेशी से रक्त स्राव आदि लक्षण पाये जाते हैं।
उपचार – रोगी को विटामिन ‘C’ युक्त भोजन जैसे टमाटर, पत्तागोभी, प्याज, नींबू, नारंगी, हरी सब्जियाँ और ताजे फल आदि देने चाहिए साथ ही रोगी को एस्कॉर्विक ऐसिड की टिकिया देना चाहिए।
4 . रिकेट या सुखण्डी (Rickets) : यह रोग विटामिन ‘D’ की कमी से मुख्यतः बच्चों में होती है। इसमें अस्थियों में कैल्शियम संचित (Deposit) नहीं हो पाता है जिनसे वे कोमल हो जाती हैं।
लक्षण – बच्चे की शारीरिक वृद्धि में कमी अस्थियों का कोमल हो जाना, बच्चे को देर से चलना, उसकी अस्थियों और पैर का टेढ़ा हो जाना, कूबड़ निकल जाना आदि इस रोग को मुख्य लक्षण हैं।
उपचार – रोगी को विटामिन डी युक्त भोजन जैसे कि मछली का तेल, मक्खन, कलेजी, अंडे की जरदी और दूध आदि पर्याप्त मात्रा में देना चाहिए।
इसके अतिरिक्त रोगी को पराबैंगनी प्रकाश (Ultraviolet light) और मर्करी वेपर लैम्प के प्रकाश का सेवन कराना चाहिए।
5 . कण्ठमाता/घेघा (Goiter) : यह गलै का रोग है जो थॉयराइड ग्रंथि के अंदर बनने वाले हॉरमोन की अधिकता से या भोजन में आयोडिन की कमी से होता है।
लक्षण – इसमें थॉयराइड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है जिससे गर्दन गोलाई में फुल जाती है।
उपचार – इससे बचने के लिए आयोडिन नमक का सेवन करना चाहिए। रोगी को डॉक्टर से उचित राय लेनी चाहिए और थायोयूरेसिल दवा का उपयोग करना चाहिए।
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