दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में आप महँगाई पर निबंध (Mehangai Par Nibandh) हिंदी में पढ़ सकते हैं। हमने अपने पिछले Hindi Essay के आर्टिकल में आपने मित्रता पर निबंध पढ़ा था।
अगर आपने इसे नहीं पढ़ा तो आप इसे भी जरूर पढ़िए। अब हम आज का यह आर्टिकल शुरू करते हैं। आप पूरा निबंध पढ़ने के बाद कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपना फीडबैक जरूर दें।
महँगाई पर निबंध हिंदी में – Essay on Inflation in Hindi
रोटी, कपड़ा और मकान – ये मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएं है। मनुष्य की अन्य आवश्यकताएं इन्हीं से सम्बंधित है। यह तीनों अनिवार्य आवश्यकताएं है।
मानव जीवन के दैनिक उपयोग में आनेवाली वस्तुओं के मूल्य में अपेक्षाकृत अधिक वृद्धि महंगाई कहलाती है। आज दैनिक उपयोग में आनेवाली वस्तुओं के मूल्य उत्तरोत्तर बढ़ते जा रहे हैं।
जिस कारण से जीवन निर्वाह भी आज के मनुष्य के समक्ष कठिन समस्या बन गई है। महंगाई की मार ने समस्त देश का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है।
रुपए की कोई कीमत ही नहीं रही, वस्तुओं के भाव कई कई गुने बढ़ गए हैं। अतः गरीब और मध्यम श्रेणी के व्यक्तियों के लिए जीवन-यापन दूभर गया है।
अर्थशास्त्रियों के अनुसार जब उत्पादन में वृद्धि होती है, तब वस्तु का मूल्य कम हो जाता है। सरकारी आंकड़े भी बताते हैं कि देश का उत्पादन बढ़ रहा है, परंतु वस्तु के मूल्य कई गुणे बढ़ रहे हैं।
1970 मे जो चावल 1 रुपए किलो मिलता था, आज वह 25-30 रुपए प्रति किलो मिलता है। अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतों में तो और भी वृद्धि हो गई है।
साग-सब्जी, नमक, चीनी, तेल, घी, दूध इत्यादि सब के दामों में बेतहाशा वृद्धि हो गई है। महंगाई के कारण हम छोटी-छोटी आवश्यकताएं भी पूरा करने में भी अक्षम हो गए हैं।
अब प्रश्न उठता है कि इस मूल्य-वृद्धि या महंगाई का क्या कारण है? इसके अनेक कारण है। देश में काले धन की कमी नहीं है।
उस धन से चोर बाजारी से मनमानी मात्रा में वस्तुएं खरीदकर बाजार में कृत्रिम अभाव पैदा कर दिया जाता है।
फिर मन माने दामों पर उन्हें बेचा जाता है। उन मुनाफाखोरो ने सामाजिक जीवन को दूभर बना दिया है। इस कारण आज न परिचय रहा, न संबंध रहा और ना नाते रिश्ते रहे।
आजकल सरकार द्वारा खनिज तेल के मूल्य में लगातार वृद्धि की जा रही है। यह मूल्य वृद्धि का प्रमुख कारण बन गया है।
इसके अतिरिक्त देश की उन्नति के लिए विभिन्न योजनाओं में धन की व्यवस्था, विदेशी ऋण की अदायगी, देश के सीमांत की सुरक्षा में व्यय, युद्ध और शरणार्थियों पर व्यय, बाढ़-सूखा की स्थिति में धन का व्यय इत्यादि मूल्य-वृद्धि के विभिन्न कारण है।
वर्तमान मूल्य-वृद्धि पर नियंत्रण के लिए आवश्यक है, लोगों में नैतिक उत्थान। लोगों को व्यक्तिगत स्वार्थ-साधन की अपेक्षा राष्ट्र-हित की बात सोचनी चाहिए।
भ्रस्टाचार का दमन करने के लिए शासक दाल का कठोर नियंत्रण होना चाहिए। इस दिशा में सरकारी प्रयत्नों को और गति देने की आवश्यकता है।
Final Thoughts –
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