आज के इस हिंदी निबंध के आर्टिकल में आप माँ पर निबंध हिंदी में (My Mother Essay in Hindi) पढ़ सकते हैं। हमने अपने पिछले Hindi Essay के आर्टिकल में अनुशासन पर निबंध पढ़ा था।
My Mother Essay in Hindi for Class 5, 6, 7, 8, 9 and 10
Maa Par Nibandh in Hindi
हमारे ऋषि-मुनियों ने कहा है – “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” अर्थात जननी (माँ) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है। वस्तुतः मां अत्यंत गरिमामयी होती है।
मां स्नेह और ममता की साक्षात मूर्ति होती है। बच्चा मां की स्नेहमयी गोद में तथा ममतापूर्ण शीतल आंचल की छांव में सबसे अधिक निरापद (सुरक्षित) रहता है।
मां की तुलना में स्वर्ग तथा सभी देवी-देवता तुच्छ है। कविवर विश्वनाथ प्रसाद ने अपनी “मां” शीषर्क कविता में सवर्था उचित कहा है –
सब देव, देवियाँ एक ओर। ऐ माँ, मेरी तू एक ओर।।
माँ अनेकानेक कष्ट झेलकर शिशु को जन्म देती है, उसका लालन-पालन करती है। वह अपने स्तन के अमृत्तुल्य दूध पिला कर शिशु की भूख शांत करती है।
शिशु की प्रसन्नता में ही माता की प्रसन्नता निहित रहती है। शिशु का खिला चेहरा माता के ह्रदय में नैसर्गिक आनंद की सृस्टि करता हैं। शिशु की थोड़ी सी भी उदासी मां को अत्यधिक बेचैन कर देती है।
बच्चे की थोड़ी-सी पीड़ा में मां तड़प उठती है। कई रातें उसके सिरहाने बैठकर आंखों में ही काट देती है। उसके लिए आराम हराम हो जाता है।
मां की सेवा और ममता निस्वार्थ होती है। मां अपनी सेवा, त्याग, स्नेह, वात्सल्य ममता का अपनी संतान से प्रतिदान नहीं चाहती है। वह प्रतिपल अपनी संतान की उज्जवल भविष्य की मंगलकामना ही करती है।
सही कहा गया है – “कुपुत्रो जायते क्वचिदपि कुमाता न भवति।” अर्थात पुत्र कुपुत्र हो सकता है, पर माता कुमाता नहीं हो सकती है। पुत्र से कष्ट पाकर भी माता उसका अहित नहीं मानती।
ऐसी माता का जो पुत्र अनादर करता है, वह निश्चय ही अभागा, नीच और पापी है। मां जीवनदायिनी होती है। उसकी सेवा करना, उसे प्रतिष्ठा प्रदान करना प्रत्येक संतान का परम धर्म है।
Final Thoughts –
आपने इस आर्टिकल में माँ पर निबंध हिंदी में (My Mother Essay in Hindi) पढ़ा। मुझे विस्वास है की आपको यह निबंध जरूर पसंद आया होगा।
आप यह भी जरूर पढ़े –