Immunity Meaning in Hindi
Noun
- प्रतिरक्षण
- रोग निरोधक क्षमता
Pronunciation (उच्चारण)
- Immunity – इम्युनिटी
Immunity Meaning and Definition in Hindi
प्रकृति की ओर से मनुष्य को रोगों से लड़ने की स्वाभाविक क्षमता प्राप्त है। इस क्षमता को रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity Power) कहते हैं।
यह क्षमता हमें रोगों के जीवाणुओं के प्रभाव से बचाती है। यह अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग होती है। रोग निरोधक क्षमता दो प्रकार की होती है –
(1) प्राकृतिक प्रतिरक्षण
(2) कृत्रिम प्रतिरक्षण
1 . प्राकृतिक प्रतिरक्षण (Natural Immunity) –
हमारे रक्त में सफेद रक्ताणु (White Corpuscles) पाए जाते हैं। ये शरीर में रोगाणु का विरोध करने वाले पदार्थों का निर्माण करते हैं।
उनको एन्टी टोक्सिन (Anti-Toxine) कहते हैं। इनमें रोग के जीवाणुओं से लड़ने की क्षमता होती है। जब जीवाणु हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तो सफेद रक्ताण उनसे लड़ते हैं।
अगर वह विजयी होते हैं तो रोग नहीं लग पाता। पर अगर जीवाणु अधिक शक्तिशाली होते हैं तो रोग के लक्षण शरीर में उत्पन्न होने लगते हैं और रोग हमें हो जाता है।
नन्हें शिशु को माता का दूध ईश्वरीय वरदान है। जन्म के पश्चात् दूध आने से पहले माँ के स्तनों से एक पीला गाढ़ा-सा पदार्थ निकलता है जोकि प्रोटीनयुक्त होता है। इसको कोलेस्ट्रम कहते हैं। यह शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
त्वचा – त्वचा शरीर के विभिन्न अंगों को सुरक्षा प्रदान करती है व कीटाणुओं को भीतरी अंगों तक पहुँचने नहीं देती। प्रवेश नहीं करने देते।
नाक के बाल – नाक के बाल कीटाणुओं को बाहर ही रोक लेते हैं और शरीर में प्रवेश नहीं करने देते। दूषित कण नाक में ही चिपक जाते हैं और अंदर नहीं जा पाते।
श्लेष्मा – शरीर में आँख, नाक व मुँह से लेकर पाचन संस्थान में श्लेष्मिक कला होती हैं जो की बाहरी रोगाणुओं को शरीर में प्रवेश करने से रोकती है।
2 . कृत्रिम प्रतिरक्षण (Acquired Immunity) –
यह दो प्रकार होता है :-
(i) टीके द्वारा – टीके द्वारा रोग के मृत जीवाणुओं को शरीर में प्रवेश कराया जाता है जिससे शरीर में प्रतिरोधक तत्वों का निर्माण हो जाता है।
ये प्रतिरोधक तत्व (Antibodies) बाद में शरीर की इन जीवाणुओं से रक्षा करते हैं। टीके द्वारा टाईफाइड, डिप्थीरिया, तपेदिक, खसरा आदि का बचाव किया जाता है।
(ii) रोगग्रस्त होने के पश्चात् – अगर रोगी एक बार रोग से ग्रस्त हो जाए फिर दुबारा उस रोग के होने की सम्भावना कम हो जाती है। क्योंकि रोग होने पर उसके प्रतिरोधक तत्व (Antibodies) शरीर में पर्याप्त मात्रा में पैदा हो जाते हैं।