Food Meaning in Hindi
Noun
- भोजन
- आहार
- मनुष्यों और पशुओं के खाने का विशेष प्रकार का खाद्य-पदार्थ
Pronunciation (उच्चारण)
- Food – फ़ूड
Food Meaning and All Details in Hindi
कुछ लोगों की ऐसी धारणा है कि भोजन भूख को शांत करने के लिए खाया जाता है। कुछ लोग केवल स्वाद की दृष्टि से ही भोजन को महत्वपूर्ण समझते हैं।
परन्तु ये धारणाएँ उचित नहीं है। शरीर को स्वस्थ रखने के अतिरिक्त भी भोजन कुछ सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, आध्यात्मिक व सांस्कृतिक कार्य संपन्न करता है। भोजन कार्यों की नीचे विवेचना की जा रही है –
1 . भोजन का शारीरिक कार्य :- शरीर को स्वस्थ बनाये रखना भोजन का सबसे प्रमुख शारीरिक कार्य है। इसके अतिरिक्त शरीर में उचिंत वृद्धि व विकास करना, शरीर को क्रियाशील बनाये रखने के लिए समुचित ऊर्जा प्रदान करना, विभिन्न रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करना भोजन के प्रमुख शारीरिक कार्य है।
2 . भोजन के सामाजिक कार्य :- भोजन का एक प्रमुख कार्य है सामाजिक संबंधों में घनिष्ठता उत्पन्न करना। अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा को प्रदर्शित करने के लिए भी भोजन का ही उपयोग किया जाता है।
अधिक परिष्कृत महंगे खाद्य पदार्थों को मेहमानों को परोस कर व्यक्ति वास्तव में अपनी सामाजिक स्थिति को ही प्रदर्शित करने का प्रयास करता है।
3 . भोजन का मनोवैज्ञानिक कार्य :- भोजन एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हमारे कुछ संवेगो जैसे प्यार, सुरक्षा की भावना, ध्यान देना आदि की संतुष्टि होती है।
माँ जब बच्चे के लिए उसकी पसंद का भोजन बनाती है व खिलाती है तो उपरोक्त तीनों संवेगों की संतुष्टि हो जाती है।
भोजन का मनोवैज्ञानिक प्रभाव इतना जबरदस्त रहता है की यह चाहे तो व्यक्ति में आत्मविश्वास जागृत कर सुरक्षा की भावना भी प्रदान कर सकता है।
4 . सांस्कृतिक कार्य :- अपनी संस्कृति के प्रदर्शन का माध्यम भी भोजन को ही बनाया जाता है। भारत एक संस्कृति प्रधान देश है तथा हमारी प्राचीन वैदिक परंपरा में भोजन को जीवनदायक माना गया है कि जिस तरह का भोजन लिया जाता है, वही हमारी प्रवृत्ति बन जाती है।
इसलिए कहा भी गया है कि “We are what we eat“. सात्विक भोजन लेने पर सात्विक प्रवृत्ति बनती है जबकि राजसिक व तामसिक भोजन लेने पर क्रमशः विलासिता तथा क्रूरता की प्रवृत्ति उत्पन्न होती है।
उसकी भोजन संबंधी आदतों से उसकी सामाजिक संरचना, आर्थिक स्थिति, धार्मिक परिवेश व भोज्य पदार्थों के उसके द्वारा विविध उपयोगों के विषय में जाना व समझा जा सकता है।
5 . आध्यात्मिक कार्य :- भोजन के द्वारा आध्यात्मिक व धार्मिक कार्य भी संभव है। मानसिक शांति के लिए किये गये हवन-पूजन आदि के अंत में पंडितों, परिचितों, नाते-रिश्तेदारों को प्रसाद या भोजन परोसा जाता है।
हर आध्यात्मिक व धार्मिक कार्य का समापन भी भोजन के माध्यम से ही किया जाता है। लोग गरीबों व अनाथों को भोजन खिलाने का संकल्प लेते हैं। ऐसा करने पर उन्हें असीम संतुष्टि व मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।