आज के इस हिंदी व्याकरण के आर्टिकल में आप भावार्थ किसे कहते हैं एवं भावार्थ लिखने के वक्त क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए इसके बारे में पढ़ सकते हैं।
Bhavarth Kise Kahate Hain in Hindi Grammar
परिभाषा :- थोड़े में सब कुछ कह जाने को ‘भावार्थ’ कहा जाता है। इसकी प्राथमिक विशेषता संक्षिप्तता है। दिए गए संदर्भ के भावों और विचारों को थोड़े में लिख डालने को ‘भावार्थ’ कहा जाता है।
ध्यान देने योग्य बातें :
1 . भावार्थ लिखने के पहले मूल संदर्भ को ध्यानपूर्वक पढ़कर समझ लेना चाहिए।
2 . मूल विचारों को रेखांकित कर देना चाहिए।
3 . व्यर्थ के शब्दों और व्याख्याओं को हटा देना चाहिए। 4. रेखांकित शब्दों और वाक्यों को मिलाकर संक्षेप में विचार व्यक्त करना चाहिए।
5 . भावार्थ की भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए।
6 . मूल संदर्भ का कोई भाव छूटना नहीं चाहिए।
7 . भावार्थ में शब्दों का पदान्वय नहीं होना चाहिए।
8 . यथासंभव अपनी भाषा में भावार्थ लिखना चाहिए।
उदाहरण :
संसार में सब मनुष्य समान हैं। उनके अधिकार भी समान होने चाहिए। यह संसार ईश्वर का है। इसलिए सबका अधिकार समान होना चाहिए, परन्तु ऐसी बात नहीं है। छोटे और नीच कहे जानेवालों को समाज से अलग कर दिया गया है। उनके सामाजिक अधिकार भी छीन लिये गये हैं। संसार के अन्य देशों में भी ऊँच-नीच का भाव है, परन्तु अपने देश में यह भाव सीमा को पहुँच गया है। विशेषकर हिन्दू-समाज पर प्रभाव बहुत पड़ा है। सवर्ण उच्च हिन्दू-समाज अछूतों को घृणा की दृष्टि से देखता है। यह हिन्दू-जाति के लिए कलंक की बात है।
भावार्थ – संसार में सब मनुष्य समान हैं, पर छोटे और नीच कहकर अछूतों को हिन्दू समाज घृणित समझता है। संसार के अन्य देशों में भी भेदभाव है, पर हिन्दू-समाज में तो यह सीमा से बाहर है। हिन्दू-जाति के लिए यह कलंक है।
भावार्थ के उदाहरण (Bhavarth Ke Udaharn) –
प्रश्न 1 . निम्नलिखित दोहे को पढ़िए और इसके साथ दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
बसि कुसंग चाहत कुसल, पर रहीम जिय सोंस ।
महिमा घटी समुद्र की, रावन वस्यो परोस ।।
(क) इस दोहे के रचयिता की क्या विशेषता है ?
(ख) इस दोहे का अर्थ लिखे।
उत्तर — (क) इस दोहे के रचयिता कविवर रहीम हैं। रहीम को जीवन का बड़ा सूक्ष्म अनुभव था। कविवर रहीम ने इस दोहे में नीति की बात कही है। कवि की विशेषता है कि वे अपने कथन के समर्थन में किसी लोकोक्ति या उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। इस दोहे में भी इसकी पुष्टि होती है। इस दोहे में जीवन का व्यावहारिक और उपदेशपूर्ण पक्ष प्रस्तुत हुआ है।
(ख) कविवर रहीम का कथन है कि कोई व्यक्ति बुरी संगति में पड़कर कभी भी कुशल नहीं रह सकता है। उसे प्रायः अपमानित होना पड़ता है। उसके हृदय में अफसोस बना रहता है। उदाहरण के लिए रावण जैसे आतताई के पड़ोस में निवास करने के कारण समुद्र की महत्ता घट गई। उसकी विशालता तब सीमित हो गई जब राम ने उस पर पुल बना दिया। पहले जो दुर्लघ्य था, पुल बनने से वह सुलंघ्य बन गया।
प्रश्न 2 . “बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी।”
(क) उपर्युक्त पंक्ति में भारत को बूढ़ा क्यों कहा गया है ?
(ख) बुन्देले के किस गुण के कारण लक्ष्मीबाई की तुलना उससे की गई है ?
उत्तर – (क) लम्बे समय तक परतंत्रता की बेड़ी में जकड़े रहने के कारण भारत एक यूड़े की तरह शिथिल और जर्जर हो चुका था। इसकी दशा अत्यन्त दयनीय हो गई थी। इसी कारण से प्रस्तुत पंक्ति में भारत को ख़ुदा कहा गया है।
(ख) लक्ष्मीबाई परम वीरांगना थी। उन्होंने अपने मान-सम्मान की रक्षा में अपने आपको बलिवेदी पर चढ़ा दिया, किन्तु अंग्रेजों के आगे झुकी नहीं। बुन्देल खंड के लोग भी बड़े वीर और साहसी होते हैं। उनकी बहादुरी विश्व-विख्यात है। ये किसी से हार मानना नहीं स्वीकारते। वे अपने मान-सम्मान की रक्षा में अपनी जान की बाजी लगा देते हैं। बुन्देले के इसी गुण के कारण लक्ष्मीबाई की तुलना उससे की गई है।
प्रश्न 3 . निम्नलिखित रचनांश का भावार्थ लिखें :
निर्झर कहता है बढ़े चलो, तुम पीछे मत देखो मुड़कर।
यौवन कहता है बढ़े चलो, सोचो मत होगा क्या आगे चलकर।
चलना है केवल चलना है, जीवन चलता ही रहता है।
मर जाना है रुक जाना ही, निर्झर झकर कहता है।
भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कविवर आरसी प्रसाद द्वारा रचित ‘जीवन का झरना’ शीर्षक कविता से उद्धृत है। इन पंक्तियों में कवि ने मानव जीवन की तुलना निर्झर (झरना) से की है। कवि मानव को झरना से प्रेरणा ग्रहण करने की सलाह देता है। जीवन का लक्ष्य प्रगति है। तात्पर्य यह कि जीवन में निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर (आगे बढ़ना) होते रहना है। पीछे मुड़कर देखना कायरता है। कवि के अनुसार जिस तरह झरना नदी का रूप ग्रहण कर विभिन्न बाधाओं से टकराता हुआ निरन्तर आगे बढ़ता जाता है, उसी तरह मानव को भी जीवन संघर्ष से जूझता हुआ, कठिनाइयों, बाधाओं का उत्साह के साथ सामना करता हुआ निरन्तर आगे की ओर बढ़ते जाना चाहिए। जीवन का वास्तविक उद्देश्य गतिमान होना है। अतः नदी की तरह मनुष्य को भी पूर्ण रूप से जवानी के जोश में सदा गतिशील रहना चाहिए। जिस दिन मानव की गति रुक जाएगी उस दिन उसकी प्रगति भी रुक जाएगी। कवि का कथन है कि जीवन की गति का रुकना मृत्यु का प्रतीक है। अतः मानव को सदा प्रगति के पथ पर अग्रसर होते रहना चाहिए। यही झरना का संदेश है।
प्रश्न 4 . निम्नलिखित दोहे का अर्थ लिखें :
सबै सहायक सवल के, कोउ न निवल सहाय ।
पवन जगावत आग को, दीपहि देत बुझाय ॥
भावार्थ – प्रस्तुत दोहा महाकवि रहीम द्वारा रचित है। इस दोहे में कवि ने जीवन की गंभीर और वास्तविक सामाजिक सत्य को उद्घाटित किया है। सामाजिक व्यवहार में हम प्रत्यक्ष देखते हैं कि शक्तिशाली व्यक्ति अर्थात् घनबल, जनबल और शारीरिक बल से सम्पन्न व्यक्ति की सहायता सभी करते हैं, किन्तु कमजोर या निर्धन व्यक्ति की सहायता करनेवाला कोई नहीं। कवि प्रज्ज्वलित आग और दीपक को उदाहरणस्वरूप प्रस्तुत करता है। जो आग प्रबल है या सबल है, हवा उसे और उत्तेजित करती है। इसके विपरीत दीपक की लौ अपेक्षाकृत कमजोर होती है। हवा अपने झांके से उसे बुझा देती है। इस वास्तविक सत्य से हम सर्वथा परिचित हैं।
प्रश्न 5 . निम्नलिखित रचनांश का सप्रसंग भावार्थ लिखें :
रानी गई सिधार, चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी।
मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी ।
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी।
हमको जीवित करने आई, वन स्वतंत्रता नारी थी।
दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी।
भावार्थ – प्रस्तुत उद्धरण सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित ‘झाँसी की रानी’ शीर्षक कविता से उद्धृत है। इन पंक्तियों में कवयित्री ने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की अलौकिक वीरता का परिचय दिया है। लक्ष्मीबाई आरम्भ से ही वीरता की साक्षात् प्रतिरूप थी। स्वतंत्रता संग्राम में उस वीरांगना ने जिस शौर्य (वीरता) और साहस का परिचय दिया वह अनन्तकाल तक स्मरणीय रहेगा। अपने प्राणों की बलि देकर वह अमर बन गई। अंग्रेज उनकी वीरता और युद्ध-संचालन कौशल से अचम्भित थे। रानी के साथ युद्ध में जनरल स्मिथ हार गया। फिर उनका सामना ह्यूरोज से हुआ। रानी के सारे साथी मारे जा चुके थे। वह अंग्रेजों की विशाल सेना से घिर चुकी थी। फिर भी अकेले वह भयंकर मार-काट करती हुई आगे बढ़ती गई । अंग्रेजों की विशाल सेना के आगे वह अकेली कब तक टिकती। रानी बुरी तरह घायल हो गई। वह वीरांगना मात्र 23 वर्ष की अल्प आयु में ही वीरगति को प्राप्त हो गई। चिता की ऊपर उठती हुई ज्वाला उनकी दिव्य सवारी बन गई। उस ज्वाला के तेज के साथ रानी का तेज एकाकार हो गया। वह साधारण मनुष्य नहीं, वरन् शौर्य और शक्ति का अवतार थीं। महारानी लक्ष्मीबाई स्वयं तो स्वतंत्रता की बलिवेदी पर चढ़ गई, पर हमें जीवन का मार्ग बता गईं। हमें इस बात के लिए प्रेरित कर गई कि स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए यदि अपने प्राणों की भी बाजी लगानी पड़े, तो इस पुण्य कार्य से कभी पीछे मत हटो।
प्रश्न 6. निम्नलिखित दोहा का अर्थ लिखें :
कारज धीरे होत है, काहे होत अधीर ।
समय पाय तरुवर फलै, केतक सींचो नीर ॥
भावार्थ – प्रस्तुत दोहा महाकवि रहीम द्वारा रचित है। इन पंक्तियों में कवि का कथन कि किसी कार्य की सफलता के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है। अर्थात् धीरे-धीरे कार्य करने से ही वह सफल होता है। कार्य में अधीरता दिखाने से या धैर्य खोने से वह सफल नहीं होता, वरन् वह कार्य बिगड़ ही जाता है। उदाहरण के लिए समय आने पर ही पेड़ फूलता-फलता है। हम चाहे पेड़ की जड़ में कितना ही पानी क्यों न डालें, पर समय के पहले उसमें फल नहीं लगता। यहाँ कवि के कहने का तात्पर्य है कि समय आने पर ही कोई कार्य पूर्ण होता है। हमें धैर्यपूर्वक समय की प्रतिक्षा करनी चाहिए।
अभ्यास :
1 . भावार्थ का तात्पर्य क्या है ?
2 . भावार्थ लिखने में किन-किन बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए ?
Final Thoughts –
आप यह हिंदी व्याकरण के भागों को भी पढ़े –
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